Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi Lyrics | महामृत्युंजय मंत्र लिरिक्स, जप, विधि, लाभ

Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi Lyrics: Here we provide Lyrics of Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi. महामृत्युंजय मंत्र लिरिक्स, जप, विधि, लाभ

Maha mrityunjay Mantra in Hindi Lyrics

Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi Lyrics

यहाँ निचे हमने आपसे महामृत्युंजय मंत्र की lyrics आपसे शेयर की है जो की अर्थ के साथ दी है|

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

अर्थात: हे तीन आँखो वाले महादेव, हमारे पालनहार, पालनकर्ता, जिस प्रकार पका हुआ खरबूजा बिना किसी यत्न के डाल से अलग हो जाता है, कृपा कर उसी प्रकार हमें इस दुनिया के मोह एवम माया के बंधनों एवम जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति दीजिए |

Maha Mrityunjaya Mantra Meaning in Hindi

किसी भी मंत्र का अर्थ जब ज्ञात हो तब उसका पाठ या जप करना काफी सरल और आनंदित करने वाला होता है| यहाँ हमने आपसे महा मृत्युंजय मन्त्र का शब्दशः अर्थ दिया है| जिसे अवश्य देखे|

ॐ = एक पवित्र/रहस्यमय शब्दांश
त्र्यम्बकं = जिसके तीन नेत्र हों
यजामहे = जिसकी पूजा या पूजा की जाती है
सुगन्धिम् = मीठी सुगंध
स्थिर = समृद्ध, पूर्ण
वर्धनम् = पोषण करने वाला बलवान, स्वास्थ्य, धन, कल्याण में वृद्धि करता है
उर्वारुकमिव = रोग, जीवन में बाधाएं, और परिणामी अवसाद
बन्धन = आसक्ति जो बंध सकती है
मृत्यमुक्ष्य = मृत्यु से मुक्त या मुक्त
माऽमृतत = मुझे मृत्यु से मुक्त करो लेकिन अमरता से नहीं।

अर्थात: हे तीन आँखो वाले महादेव, हमारे पालनहार, पालनकर्ता, जिस प्रकार पका हुआ खरबूजा बिना किसी यत्न के डाल से अलग हो जाता है, कृपा कर उसी प्रकार हमें इस दुनिया के मोह एवम माया के बंधनों एवम जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति दीजिए |

Maha Mrityunjaya Mantra Story in Hindi

यहाँ निचे हमने आपसे महामृत्युंजय मन्त्र के पीछे की शास्त्र में क्या कहा गया है उसकी जानकारी दी है| अगर आप इसके पीछे की सम्पूर्ण story को पढ़ना चाहते है तो यह पूरा पढ़े|

“एक समय की बात है| एक महान और तपस्वी ऋषि मृकंदु हुआ करते थे जिनकी पत्नी का नाम मरुदमती था| दुर्भाग्यवश उन्हें कोई संतान नहीं थी|

उन्होंने भगवान् शिव की काफी प्रार्थना और तपस्या के बाद उन्हें प्रसन्न किया| भगवान् शिव ने उन्हें एक पुत्र का वरदान दिया। लेकिन साथ में एक शर्त भी दी की यह पुत्र काफी बुद्धिमान होने के साथ कम आयु वाला होगा| कुछ समय के बाद उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई| जिनका नाम उन्होंने मार्कंडेय रखा|

मार्कंडेय भगवान शिव के प्रबल भक्त थे। जैसे जैसे वह बड़े होने लगे उनके माता-पिता की चिंता बढ़ती गयी| यह देख मार्कंडेय ने कारण जानने की जिद की| उनके माता पिता ने सभी जानकारी दी| मार्कंडेय अपने माता-पिता को अकेला और दुखी छोड़कर कम उम्र में मरना नहीं चाहते थे और इसलिए उन्होंने शिव लिंग के सामने लोराद शिव की पूजा करते हुए तपस्या शुरू की।

“ऐसा माना जाता है कि मृत्युंजय मंत्र को मार्कंडेय ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बनाया था।”

समय होने पर यमराज के दूत मार्कंडेय के प्राण लेने के लिए आये लेकिन वे गहरे ध्यान में थे और दूत को खाली हाथ लौटना पड़ा। बाद में यमराज स्वयं उनके प्राण लेने आये यह देख मार्कंडेयने शिव लिंग को गले लगा लिया। यमराज को अपना कर्तव्य पूरा करना था और इसलिए मार्कंडेय पर अपना फंदा फेंक दिया जो गलती से शिव लिंग के चारों ओर गिर गया। इससे भगवान शिव बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने तुरंत भगवान यमराज का वध कर दिया।

सभी देवताओं ने एक साथ इकट्ठा होकर भगवान शिव से यमराज को पुनर्जीवित करने की गुहार लगाई क्योंकि भगवान यम की मृत्यु से पूरे ब्रह्मांड का संतुलन बिगड़ जाएगा। भगवान शिव सहमत हो गए और यमराज को वापस जीवित कर दिया लेकिन मार्कंडेय को जीवित रहने की शर्त पर सभी देवताओं ने सहमति व्यक्त की।”

इसी तरह “Maha Mrityunjaya Mantra” मृत्यु के भय को दूर करने में मदद करता है और पीडाओ से भी मुक्ति देता है|

FAQs

महा मृत्युंजय मंत्र के क्या लाभ है?

महामृत्युंज मंत्र सबसे पावरफुल मंत्रो में से एक माना जाता है| यह भगवान् शिव को समर्पित है जिसमे भगवान् शिव से याचना की जाती है| इस मन्त्र के माध्यम से भगवान् शिव पुनर्जन्म के निरंतर चक्र से मुक्त कर मोक्ष प्रदान करते है| असमय मृत्यु से बचाने और गंभीर रोगों की पीड़ा से मुक्त होने के लिए यह मंत्र लाभकारी माना जाता है।

महा मृत्युंजय मंत्र का पाठ(जप) कैसे करना चाहिए?

ब्रह्म मुहूर्त के दौरान मृत्युंजय मंत्र का 108 बार पाठ करना सबसे अच्छा माना जाता है| अच्छे स्वास्थ्य, धन और समृद्धि के लिए काम पर निकलने से ठीक पहले 9 बार और रात को सोने से पहले 9 बार मंत्र का जाप भी कर सकते हैं|

महा मृत्युंजय किसने लिखा है?

ऐसा माना जाता है की महा मृत्युंजय मंत्र ऋषि मार्कंडेय ने लिखा था और उसके पीछे भी एक कहानी है जो की हमने ऊपर लेख में दी है|

मृत्युंजय मंत्र और गायत्री मंत्र में क्या अंतर है?

गायत्री मंत्र आपकी आत्मा के ज्ञान और शुद्धि के लिए है, जबकि मृत्युंजय मंत्र स्वयं को मृत्यु के भय से मुक्त करने और अपनी आत्मा को जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के इस निरंतर चक्र से मुक्त करके मोक्ष प्राप्त करने के लिए है।

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